सोमवार 27 अक्तूबर 2025 - 11:28
हज़रत ज़ैनब स.अ. क़ुरआनी न्याय और सत्य की रक्षक

हौज़ा / कुरआन मजीद का हज़रत ज़ैनब की ज़बान पर जारी होना और इससे इस्तेदलाल करना ये ज़ाहिर कर रहा है,कि वह कुरान से कभी दूर नहीं हुई और हमेशा कुरान को एक प्रकाशस्तंभ बना दिया जब विपत्ति की दुनिया में आदमी सब कुछ भूल जाता है। लेकिन उन्होंने हमें सिखाया कि किसी भी परिस्थिति में कुरान को न छोड़ें और जितना हो सके उसका पालन करें।कर्बला के लोगों का अंतिम संदेश कुरान है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हुज्जतुल इस्लाम मौलाना डॉक्टर ज़ुल्फिकार हुसैन ने कहा कि हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा का मर्तबा बहुत बुलंद है इसके बारे में यही काफी है कि आप आलेमा ए गै़रे मोअल्लेमा थी, आप कुरान की आयत में बात करती थी,आपकी हर साँस क़ुरआन की तसबीह करती है आपकी जबान, आपका चरित्र और आपकी गति क़ुरआन का आईना है।

हौज़ा न्यूज़ : आपने कहा कि हज़रत ज़ैनब (स.अ.) आलेमा-ए-ग़ैरे मोअल्लेमा थीं। इसका क्या मतलब है?

हुज्जतुल इस्लाम मौलाना डॉक्टर ज़ुल्फिकार हुसैन:इसका मतलब यह है कि हज़रत ज़ैनब (स.अ.) ने किसी इंसानी शिक्षक से इल्म हासिल नहीं किया, बल्कि उनका इल्म इलाही था। वह उस घर की परवरदा थीं जहाँ क़ुरआन नाज़िल हुआ यानी नबूवत और विलायत का घर। उनकी हर बात, हर अल्फ़ाज़ और हर तर्क क़ुरआन की तफ़्सीर था। वह ऐसी “आलेमा” थीं जिनकी शिक्षा सीधे रूह-ए-वह्‍य से जुड़ी थी।

हौज़ा न्यूज़ :इतिहास में ज़िक्र है कि उन्होंने हज़रत अली (अ.स.) के ज़माने में औरतों को क़ुरआन की तफ़्सीर सिखाई। यह घटना क्या बताती है?

हुज्जतुल इस्लाम मौलाना डॉक्टर ज़ुल्फिकार हुसैन:यह वाक़िया इस बात का सुबूत है कि हज़रत ज़ैनब स.अ.का इल्म केवल आध्यात्मिक नहीं बल्कि शिक्षात्मक भी था वह न सिर्फ़ क़ुरआन को समझती थीं बल्कि उसे लोगों तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी निभा रही थीं। जब हज़रत अली (अ.स.) ने अपनी बेटी को तफ़्सीर करते देखा, तो उन्होंने उसकी तारीफ़ की यह उनकी विद्वता की खुली गवाही है।

हौज़ा न्यूज़ :कर्बला के बाद दरबार-ए-कूफ़ा और दरबार-ए-शाम में हज़रत ज़ैनब स.अ. ने जो खुत्बे दिए, उनमें उन्होंने क़ुरआन को किस तरह इस्तेमाल किया?

हुज्जतुल इस्लाम मौलाना डॉक्टर ज़ुल्फिकार हुसैन:उन खुत्बों में हज़रत ज़ैनब स.अ.ने क़ुरआन की आयतों को अपने तर्क और सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया। उन्होंने यज़ीद और इब्ने ज़ियाद जैसे अत्याचारी हाकिमों के सामने क़ुरआन की रोशनी में हक़ और बातिल का फ़र्क़ स्पष्ट कर दिया। कूफ़े के दरबार में उन्होंने जो आयतें पढ़ीं, उन्होंने लोगों के दिलों को हिला दिया और यह साबित किया कि अहले बैत (अ.स.) ही क़ुरआन के असली वारिस हैं।

हौज़ा न्यूज़ :आपने अपने बयान में कहा कि हज़रत ज़ैनब (स.अ.) की ज़बान पर क़ुरआन जारी था इसे आप कैसे समझाते हैं?

हुज्जतुल इस्लाम मौलाना डॉक्टर ज़ुल्फिकार हुसैन:इसका मतलब यह है कि हज़रत ज़ैनब (स.अ.) का हर शब्द, हर दलील, हर प्रतिक्रिया क़ुरआन की रूह से निकलती थी। उनके अंदर क़ुरआन इस हद तक समा गया था कि उनकी सोच, बोलचाल और अमल सब कुछ क़ुरआन का आईना बन गया था। वह खुद क़ुरआन की तफ़्सीर बन गई थीं।

हौज़ा न्यूज़ :आज के दौर में जब लोग मुश्किलों में अक्सर क़ुरआन और दीन से दूर हो जाते हैं, हज़रत ज़ैनब (स.अ.) का संदेश हमें क्या सिखाता है?

हुज्जतुल इस्लाम मौलाना डॉक्टर ज़ुल्फिकार हुसैन :हज़रत ज़ैनब स.अ.ने सिखाया कि चाहे कैसी भी मुसीबत क्यों न हो इंसान को क़ुरआन का दामन नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कर्बला की तबाही में भी क़ुरआन को अपनी ताक़त बनाया। उनका संदेश यह है कि जब दुनिया अंधेरे में डूब जाए, तब क़ुरआन ही रौशनी है। यही कर्बला वालों का आख़िरी पैग़ाम है क़ुरआन से जुड़ो, यही हक़ की राह है।

हौज़ा न्यूज़ : धन्यवाद मौलाना साहब, आपके विचारों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला।

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